Friday, 27 April 2018

Our Parents

* गंवार*

एक लड़की की शादी उसकी मर्जी के खिलाफ एक सिधे साधे लड़के से की जाती है जिसके घर मे एक मां के आलावा और कोई नहीं है।
दहेज मे लड़के को बहुत सारे उपहार और पैसे मिले होते हैं । लड़की किसी और लड़के से बेहद प्यार करती थी और लड़का भी...
लड़की शादी होके आ गयी अपने ससुराल...सुहागरात के वक्त लड़का दूध लेके आता है तो दुल्हन सवाल पूछती है अपने पति से...एक पत्नी की मर्जी के बिना पति उसको हाथ लगाये तो उसे बलात्कार कहते है या हक?
पति - आपको इतनी लम्बी और गहरी जाने की कोई जरूरत नहीं है..
बस दूध लाया हूँ पी लिजीयेगा.. . हम सिर्फ आपको शुभ रात्रि कहने आये थे कहके कमरे से निकल जाता है। लड़की मन मारकर रह जाती है क्योंकि लड़की चाहती थी की झगड़ा हो ताकी मैं इस गंवार से पिछा छुटा सकूँ ।
है तो दुल्हन मगर घर का कोई भी काम नहीं करती। बस दिनभर online रहती और न जाने किस किस से बातें करती मगर उधर लड़के की माँ बिना शिकायत के दिन भर चुल्हा चौका से लेकर घर का सारा काम करती मगर हर पल अपने होंठों पर मुस्कुराहट लेके फिरती । लड़का एक कम्पनी मे छोटा सा मुलाजीम है और बेहद ही मेहनती और इमानदार। करीब महीने भर बित गये मगर पति पत्नी अब तक साथ नहीं सोये... वैसे लड़का बहुत शांत स्वाभाव वाला था इसलिए वह ज्यादा बातें नहीं करता था, बस खाने के वक्त अपनी पत्नी से पूछ लेता था कि... .कहा खाओगी..अपने कमरे मे या हमारे साथ। और सोने से पहले डायरी लिखने की आदत थी जो वह हर रात को लिखता था।
ऐसे लड़की के पास एक स्कूटी था वह हर रोज बाहर जाती थी पति के अफीस जाने के बाद और पति के वापस लौटते ही आ जाती थी। छुट्टी का दिन था लड़का भी घर पे ही था तो लड़की ने अच्छे भले खाने को भी गंदा कहके मा को अपशब्द बोलके खाना फेंक देती है मगर वह शांत रहने वाला उसका पति अपनी पत्नी पर हाथ उठा देता है मगर माँ अपने बेटे को बहुत डांटती है। इधर लड़की को बहाना चाहिए था झगड़े का जो उसे मिल गया था, वह पैर पटकती हुई स्कूटी लेके निकल पड़ती है। लड़की जो रोज घर से बाहर जाती थी वह अपने प्यार से मिलने जाती थी, लड़की भले टूटकर चाहती थी लड़के को मगर उसे पता था की हर लड़की की एक हद होती है जिसे इज्जत कहते है वह उसको बचाये रखी थी। इधर लड़की अपने प्यार के पास पहुँचकर कहती है।
अब तो एक पल भी उस घर मे नहीं रहना है मुझे । आज गंवार ने मुझपर हाथ उठाके अच्छा नही किया ।
लड़का - अरे तुमसे तो मैं कब से कहता हूँ की भाग चलो मेरे साथ कहीं दूर मगर तुम हो की आज कल आज कल पे लगी रहती हो।
लड़की - शादी के दिन मैं आई थी तो तुम्हारे पास। तुम ही ने तो लौटाया था मुझे ।
लड़का - खाली हाथ कहा तक भागोगे तुम ही बोलो..मैंने तो कहा था कि कुछ पैसे और गहने साथ ले लो तुम तो खाली हाथ आई थी।
आखिर दूर एक नयी जगह मे जिंदगी नये सिरे से शुरू करने के लिए पैसे तो चाहिए न?
लड़की - तुम्हारे और मेरे प्यार के बारे मे जानकर मेरे घरवालो ने बैंक के पास बुक एटी एम और मेरे गहने तक रख लिये थे। तो मैं क्या लाती अपने साथ । हम दोनों मेहनत करके कमा भी तो सकते थे।
लड़का - चलाकर इंसान पहले सोचता है और फिर काम करता है। खाली हाथ भागते तो ये इश्क का भूत दो दिन मे उतर जाता समझी?
और जब भी तुम्हें छुना चाहता हूँ बहुत नखरे है तुम्हारे । बस कहती हो शादी के बाद ।
लड़की - हाँ शादी के बाद ही अच्छा होता है ये सब और सब तुम्हारा तो है। मैं आज भी एक कुवारी लड़की हूँ । शादी करके भी आज तक उस गंवार के साथ सो न सकी क्योंकि तुम्हें ही अपना पति मान चुकी हूँ बस तुम्हारे नाम की सिंदूर लगानी बाकी है। बस वह लगा दो सबकुछ तुम अपनी मर्जी से करना।
लड़का - ठीक है मैं तैयार हूँ । मगर इस बार कुछ पैसे जरूर साथ लेके आना, मत सोचना हम दौलत से प्यार करते हैं । हम सिर्फ तुमसे प्यार करते है बस कुछ छोटी मोटी बिजनेस के लिए पैसे चाहिए ।
लड़की - उस गंवार के पास कहा होगा पैसा, मेरे बाप से 3 लाख रूपया उपर से मारूती कार लि है।
बस कुछ गहने है वह लेके आउगी आज।
लड़का लड़की को होटल का पता देकर चला जाता है । लड़की घर आके फिर से लड़ाई करती है।
मगर अफसोस वह अकेली चिल्लाती रहती है उससे लड़ने वाला कोई नहीं था।
रात 8 बजे लड़के का मैसेज आता है वाटसप पे की कब आ रही हो?
लड़की जवाब देती है सब्र करो कोई सोया नहीं है। मैं 12 बजे से पहले पहुँच जाउगी क्योंकि यंहा तुम्हारे बिना मेरी सांसे घुटती है।
लड़का -ओके जल्दी आना। मैं होटल के बाहर खड़ा रहूंगा bye
...
लड़की अपने पति को बोल देती है की मुझे खाना नहीं चाहिए मैंने बाहर खा लिया है इसलिए मुझे कोई परेशान न करे इतना कहके दरवाजा बंद करके अंदर आती है की...पति बोलता है की...वह आलमारी से मेरी डायरी दे दो फिर बंद करना दरवाजा। हम परेशान नहीं करेंगे ।
लड़की दरवाजा खोले बिना कहती है की चाभीया दो अलमारी की,
लड़का - तुम्हारे बिस्तर के पैरों तले है चाबी ।
मगर लड़की दरवाजा नहीं खोलती वल्की जोर जोर से गाना सुनने लगती है। बाहर पति कुछ देर दरवाजा पिटता है फिर हारकर लौट जाता है। लड़की ने बड़े जोर से गाना बजा रखा था। फिर वह आलमारी खोलके देखती है जो उसने पहली बार खोला था, क्योंकि वह अपना समान अलग आलमारी मे रखती थी।
आलमारी खोलते ही हैरान रह जाती है। आलमारी मे उसके अपने पास बुक एटी एम कार्ड थे जो उसके घरवालो ने छीन के रखे थे
खोलके चेक किया तो उसमें वह पैसे भी एड थे जो दहेज मे लड़के को मिले थे। और बहुत सारे गहने भी जो एक पेपर के साथ थे और उसकी मिल्कीयेत लड़की के नाम थी, लड़की बेहद हैरान और परेशान थी। फिर उसकी नजर डायरी मे पड़ती है और वह जल्दी से
वह डायरी निकालके पढ़ने लगती है।
लिखा था, तुम्हारे पापा ने एक दिन मेरी मां की जान बचाइ थी अपना खून देकर । मैं अपनी माँ से बेहद प्यार करता हूँ इसलिए मैंने झूककर आपके पापा को प्रणाम करके कहा की...आपका ये अनमोल एहसान कभी नही भूलूंगा, कुछ दिन बाद आपके पापा हमारे घर आये हमारे तुम्हारे रिश्ते की बात लेकर मगर उन्होंने आपकी हर बात बताई हमें की आप एक लड़के से बेहद प्यार करती हो। आपके पापा आपकी खुशी चाहते थे इसलिए  वह पहले लड़के को जानना चाहते थे। आखिर आप अपने पापा की princess जो थी और हर बाप अपने Princess के लिए एक अच्छा इमानदार Prince चाहता है। आपके पापा ने खोजकर के पता लगाया की वह लड़का बहुत सी लड़की को धोखा दे चुका है। और पहली शादी भी हो चुकी है पर आपको बता न सके क्योंकि उन्हें पता था की ये जो इश्क का नशा है वह हमेशा अपनों को गैर और गैर को अपना समझता है। ऐक बाप के मुँह से एक बेटी की कहानी सुनकर मै अचम्भीत हो गया। हर बाप यंहा तक शायद ही सोचे। मुझे यकीन हो गया था की एक अच्छा पति होने का सम्मान मिले न मिले मगर एक दामाद होने की इज्जत मैं हमेशा पा सकता हूँ।
मुझे दहेज मे मिले सारे पैसे मैंने तुम्हारे ए काउण्ट मे कर दिए और तुम्हारे घर से मिली गाड़ी आज भी तुम्हारे घर पे है जो मैंने इसलिए भेजी ताकी जब तुम्हें मुझसे प्यार हो जाये तो साथ चलेंगे कही दूर घूमने। दहेज...इस नाम से नफरत है मुझे क्योंकि मैंने इ दहेज मे अपनी बहन और बाप को खोया है। मेरे बाप के अंतिम शब्द भी येही थे की..कीसी बेटी के बाप से कभी एक रूपया न लेना। मर्द हो तो कमाके खिलाना, तुम आजाद हो कहीं भी जा सकती हो। डायरी के बिच पन्नों पर तलाक की पेपर है जंहा मैंने पहले ही साईन कर दिया है । जब तुम्हें लगे की अब इस गंवार के साथ नही रखना है तो साईन करके कहीं भी अपनी सारी चिजे लेके जा सकती हो।
लड़की ...हैरान थी परेशान थी...न चाहते हुए भी गंवार के शब्दों ने दिल को छुआ था। न चाहते हुए भी गंवार के अनदेखे प्यार को महसूस करके पलके नम हुई थी।
आगे लिखा था, मैंने तुम्हें इसलिए मारा क्योंकि आपने मा को गाली दी, और जो बेटा खुद के आगे मा की बेइज्जती होते सहन कर जाये...फिर वह बेटा कैसा ।
कल आपके भी बच्चे होंगे । चाहे किसी के साथ भी हो, तब महसूस होगी माँ की महानता और प्यार।
आपको दुल्हन बनाके हमसफर बनाने लाया हूँ जबरजस्ती करने नहीं। जब प्यार हो जाये तो भरपूर वसूल कर लूँगा आपसे...आपके हर गुस्ताखी का बदला हम शिद्दत से लेंगे हम आपसे...गर आप मेरी हुई तो बेपनाह मोहब्बत करके
किसी और की हुई तो आपके हक मे दुवाये माँग के😢😢😢
लड़की का फोन बज रहा था जो भायब्रेशन मोड पे था, लड़की अब दुल्हन बन चुकी थी। पलकों से आशू गिर रहे थे । सिसकते हुए मोबाइल से पहले सिम निकाल के तोड़ा फिर सारा सामान जैसा था वैसे रख के न जाने कब सो गई पता नहीं चला। सुबह देर से जागी तब तक गंवार अफीस जा चुका था, पहले नहा धोकर साड़ी पहनी । लम्बी सी सिंदूर डाली अपनी माँग मे फिर मंगलसूत्र ।
जबकि पहले एक टीकी जैसी साईड पे सिंदूर लगाती थी ताकी कोई लड़का ध्यान न दे😂
मगर आज 10 किलोमीटर से भी दिखाई दे ऐसी लम्बी और गाढी सिंदूर लगाई थी दुल्हन ने। फिर किचन मे जाके सासुमा को जबर्दस्ती कमरे मे लेके तैयार होने को कहती है। और अपने गंवार पति के लिए थोड़े नमकीन थोड़े हलुवे और चाय बनाके अपनी स्कूटी मे सासुमा को जबर्दस्ती बिठाकर  (जबकी कुछ पता ही नहीं है उनको की बहू आज मुझे कहा ले जा रही है बस बैठ जाती है)
फिर रास्ते मे सासुमा को पति के अफीस का पता पूछकर अफीस पहुँच जाती है। पति हैरान रह जाता है पत्नी को इस हालत मे देखकर।
पति - सब ठीक तो है न मां?
मगर माँ बोलती इससे पहले पत्नी गले लगाकर कहती है की..अब सब ठीक है...I love you forever...

अफीस के लोग सब खड़े हो जाते है तो दुल्हन कहती है की..मै इनकी धर्मपत्नी हूँ । बनवास गई थी सुबह लौटी हूँ 😂
अब एक महीने तक मेरे पतिदेव अफीस मे दिखाई नहीं देंगे 😂
अफीस के लोग? ?????
दुल्हन - क्योंकि हम लम्बी छुट्टी पे जा रहे साथ साथ।
पति- पागल...
दुल्हन - आपके सादगी और भोलेपन ने बनाया है।
सभी लोग तालीया बजाते हैं और दुल्हन फिर से लिपट जाती है अपने गंवार से ...
जंहा से वह दोबारा कभी भी छूटना नहीं चाहती।

* बड़े कड़े फैसले होते है कभी कभी हमारे अपनों की मगर हम समझ नहीं पाते की...हमारे अपने हमारी फिकर खुद से ज्यादा क्यों करते हैं*

* मां बाप के फैसलों का सम्मान करे*
क्योंकि ये दो ऐसे शख्स है जो आपको हमेशा दुनियादारी से ज्यादा प्यार करते हैं ।

Tuesday, 24 April 2018

True love

Agar aapne Sacha pyar kiya ho Ya karte ho to hi Is story Ko jrur padhna. ...💑
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गाँव में कॉलेज नही था इस कारण पढ़ने के लिए में शहर आया था । यह किसी रिश्तेदार का एक कमरे का मकान था।
बिना किराए का था।
आस-पास सब गरीब लोगो के घर थे।
और में अकेला था सब काम मुजे खुद ही करने पड़ते थे। खाना-बनाना, कपड़े धोना, घर की साफ़-सफाई करना।
कुछ दिन बाद एक गरीब लडकी अपने छोटे भाई के साथ मेरे घर पर आई।
आते ही सवाल किया:-" तुम मेरे भाई को ट्यूशन करा सकते हो कयां?"
मेंने कुछ देर सोचा फीर कहा "नही"
उसने कहा "क्यूँ?
मेने कहा "टाइम नही है। मेरी पढ़ाई डिस्टर्ब होगी।"
उसने कहा "बदले में मैं तुम्हारा खाना बना दूँगी।"
शायद उसे पता था की में खाना खुद पकाता हुँ
मैंने कोई जवाब नही दिया तो वह और लालच दे कर बोली:-बर्तन भी साफ़ कर दूंगी।"
अब मुझे भी लालच आ ही गया: मेने कहा-"कपड़े भी धो दो तो पढ़ा दूँगा।"
वो मान गई।
इस तरह से उसका रोज घर में आना-जाना होने लगा।
वो काम करती रहती और मैं उसके भाई को पढ़ा रहा होता। ज्यादा बात नही होती। उसका भाई 8वीं कक्षा में था। खूब होशियार था। इस कारण ज्यादा माथा-पच्ची नही करनी पड़ती थी। कभी-कभी वह घर की सफाई भी कर दिया करती थी।
दिन गुजरने लगे। एक रोज शाम को वो मेरे घर आई तो उसके हाथ में एक बड़ी सी कुल्फी थी।
मुझे दी तो मैंने पूछ लिया:-" कहाँ से लाई हो'?
उसने कहा "घर से।
आज बरसात हो गई तो कुल्फियां नही बिकी।"
इतना कह कर वह उदास हो गई।
मैंने फिर कहा:-" मग़र तुम्हारे पापा तो समोसे-कचोरी का ठेला लगाते हैं?
उसने कहा- वो:-" सर्दियों में समोसे-कचोरी और गर्मियों में कुल्फी।"
और:- आज"बरसात हो गई तो कुल्फी नही बिकी मतलब " ठण्ड के कारण लोग कुल्फी नही खाते।"
"ओह" मैंने गहरी साँस छोड़ी।
मैंने आज उसे गौर से देखा था। गम्भीर मुद्रा में वो उम्र से बडी लगी। समझदार भी, मासूम भी।
धीरे-धीरे वक़्त गुजरने लगा।
मैं कभी-कभार उसके घर भी जाने लगा। विशेषतौर पर किसी त्यौहार या उत्सव पर। कई बार उससे नजरें मिलती तो मिली ही रह जाती। पता नही क्यूँ?
एसे ही समय बीतता गया इस बीस
कुछ बातें मैंने उसकी भी जानली। की वो ; बूंदी बाँधने का काम करती है। बूंदी मतलब किसी ओढ़नी या चुनरी पर धागे से गोल-गोल बिंदु बनाना। बिंदु बनाने के बाद चुनरी की रंगाई करने पर डिजाइन तैयार हो जाती है।
मैंने बूंदी बाँधने का काम करते उसे बहुत बार देखा था।
एक दिन मेंने उसे पूछ लिया:-" ये काम तुम क्यूँ करती हो?"
वह बोली:-"पैसे मिलते हैं।"
"क्या करोगी पैसों का?"
"इकठ्ठे करती हूँ।"
"कितने हो गए?"
"यही कोई छः-सात हजार।"
"मुझे हजार रुपये उधार चाहिए।
जल्दी लौटा दूंगा।" मैंने मांग लिए।
उसने सवाल किया:-"किस लिए चाहिए?"
"कारण पूछोगी तो रहने दो।" मैंने मायूसी के साथ कहा।
वो बोली अरे मेंने तो "ऐसे ही पूछ लिया। तू माँगे तो सारे दे दूँ।" उसकी ये आवाज़ अलग सी जान पड़ी। मग़र मैं उस वक़्त कुछ समझ नही पाया। पैसे मिल रहे थे उन्ही में खोकर रह गया। एक दोस्त से उदार लिए थे । कमबख्त दो -तीन बार माँग चूका था।
एक रोज मेरी जेब में गुलाब की टूटी पंखुड़ियाँ निकली। मग़र तब भी मैं यही सोच कर रह गया कि कॉलेज के किसी दोस्त ने चुपके से डाल दी होगी।
उस समय इतनी समझ भी नही थी।
एक दिन कॉलेज की मेरी एक दोस्त मेरे घर आई कुछ नोट्स लेने। मैंने दे दिए।
और वो मेरे घर के बाहर खडी थी और मेरी दोस्त को देखकर बाहर से ही तुरंत वापीस घर चली गई।
और फ़िर दूसरे दिन दो पहर में ही आ धमकी।
आते ही कहा:-" मैं कल से तुम्हारा कोई काम नही करूंगी।"
मैने कहा "क्यूँ?
काफी देर तो उसने जवाब नही दिया। फिर धोने के लिए मेरे बिखरे कपड़े समेटने लगी।
मैने कहा "कहीं जा रही हो?"
उसने कहा "नही। बस काम नही करूंगी।
और मेरे भाई को भी मत पढ़ाना कल से।"
मैने कहा अरे"तुम्हारे हजार रूपये कल दे दूंगा। कल घर से पैसे आ रहे हैं।" मुझे पैसे को लेकर शंका हुई थी।इस कारण पक्का आश्वासन दे दिया।
उसने कहो "पैसे नही चाहिए मुजे।"
मेने कहा "तो फिर ?"
मैने आँखे उसके चेहरे पर रखी और
उसने एक बार मुजसे नज़र मिलाई तो लगा हजारों प्रश्न है उसकी आँखों में। मग़र मेरी समझ से बाहर थे।
उसने कोई जवाब नही दिया।
मेरे कपड़े लेकर चली गई।
अपने घर से ही घोकर लाया करती थी।
दूसरे दिन वह नही आई।
न उसका भाई आया।
मैंने जैसे-तैसे खाना बनाया। फिर खाकर कॉलेज चला गया। दोपहर को आया तो सीधा उसके घर चला गया। यह सोचकर की कारण तो जानू काम नही करने का।
उसके घर पहुंचा तो पता चला की वो बीमार है।
एक छप्पर में चारपाई पर लेटी थी अकेली। घर में उसकी मम्मी थी जो काम में लगी थी।
मैं उसके पास पहुंचा तो उसने मुँह फेर लिया करवट लेकर।
मैंने पूछा:-" दवाई ली क्या?"
"नही।" छोटा सा जवाब दिया बिना मेरी तरफ देखे।
मैने कहा "क्यों नही ली?
उसने कहा "मेरी मर्ज़ी। तुझे क्या?
"मुझसे नाराज़ क्यूँ हो ये तो बतादो।"
"तुम सब समझते जवाब दिया बिना मेरी तरफ देखे।
मैने कहा "क्यों नही ली?
उसने कहा "मेरी मर्ज़ी। तुझे क्या?
"मुझसे नाराज़ क्यूँ हो ये तो बतादो।"
"तुम सब समझते हो, फिर मैं क्यूँ बताऊँ।"
"कुछ नही पता। तुम्हारी कसम। सुबह से परेसान हूँ। बता दो।"
" नही बताउंगी। जाओ यहाँ से।" इस बार आवाज़ रोने की थी।
मुझे जरा घबराहट सी हुई। डरते-डरते उसके हाथ को छूकर देखा तो मैं उछल कर रह गया। बहुत गर्म था।
मैंने उसकी मम्मी को पास बुलाकर बताया।
फिर हम दोनों उसे हॉस्पिटल ले गए।
डॉक्टर ने दवा दी और एडमिट कर लिया।
कुछ जाँच वगेरह होनी थी।
क्यूंकि शहर में एक दो डेंगू के मामले आ चुके थे।
मुझे अब चिंता सी होने लगी थी।
उसकी माँ घर चली गई। उसके पापा को बुलाने।
मैं उसके पास अकेला था।
बुखार जरा कम हो गया था। वह गुमसुम सी लेटी थी। दीवार को घुर रही थी एकटक!!
मैंने उसके चैहरे को सहलाया तो उसकी आँखों में आँसू आ गए और मेरे भी।
मैंने भरे गले से पूछा:- "बताओगी नही?"
उसने आँखों में आँसू लिए मुस्कराकर कहा:-" अब बताने की जरूरत नही है। पता चल गया है कि तुझे मेरी परवाह है। है ना?"
मेरे होठों से अपने आप ही एक अल्फ़ाज़ निकला:-
" बहुत।"
उसने कहा "बस! अब में मर भी जाऊँ तो कोई गिला नही।" उसने मेरे हाथ को कस कर दबाते हुए कहा।
उसके इस वाक्य का कोई जवाब मेरे लबों से नही निकला। मग़र आँखे थी जो जवाब को संभाल न सकी। बरस पड़ी।
वह उठ कर बैठ गई और बोली रोता क्यूँ है पागल? मैने जिस दिन पहली बार तेरे लिए रोटी बनाई थी उसी दिन से चाहती हूँ तुजे। एक तू था पागल । कुछ समझने में इतना वक़्त ले गया।"
फिर उसने अपने साथ मेरे आँसू भी पोछे।
फीर थोडी देर बाद उसके घर वाले आ गए।
रात हो गई थी। उसकी हालत में कोई सुधार नही हुआ।
फिर देर रात तक उसकी बीमारी की रिपोर्ट आ गई।
बताया गया की उसे डेंगू है।
और ए जान कर आग सी लग गई मेरे सीने में।
खून की कमी हो गई थी उसे। पर खुदा का शुक्र है की मेरा खून मैच हो गया ब
था उसका भी। दो बोतल खून दिया मैंने तो जरा शकून सा मिला दिल को।
उस रात वह अचेत सी रही।
बार-बार अचेत अवस्था में उल्टियाँ कर देती थी।
मैं एक मिनिट भी नही सोया उस रात।
डॉक्टरों ने दूसरे दिन बताया कि रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से कम हो रही है। खून और देना होगा। डेंगू का वायरस खून का थक्का बनाने वाली प्लेटलेट्स पर हमला करता हैं । अगर प्लेटलेट्स खत्म तो पुरे शरीर के अंदरुनी अंगों से ख़ून का रिसाव शुरू हो जाता है। फिर बचने का कोई चांस नही।
मैंने अपना और खून देने का आग्रह किया मग़र रात को दिया था इस कारण डोक्टर ने मना कर दिया ।
फीर मैंने मेरे कॉलेज के दो चार दोस्तों को बुलाया। साले दस एक साथ आ गए। खून दिया। हिम्मत बंधाई। पैसों की जरूरत हो तो देने का आश्वासन दिया और चले गए। उस वक़्त पता चला दोस्त होना भी कितना जरूरी है। पैसों की कमी नही थी। घर से आ गए थे।
दूसरे दिन की रात को वो कुछ ठीक दिखी। बातें भी करने लगी।
रात को सब सोए थे। मैं उसके पास बैठा जाग रहा था।
उसने मुजे कहा:- " पागल बीमार मैं हूँ तू नही। फिर ऐसी हालत क्यों बनाली है तुमने?"
मैंने कहा:-" तू ठीक हो जा। मैं तो नहाते ही ठीक हो जाऊंगा।"
उसने उदास होकर पूछा ।:-" एक बात बता?"
मैने कहा"क्यां?"
उसने कहा "मैंने एक दिन तुम्हारी जेब में गुलाब डाला था तुजे मिला?
मैने कहा "सिर्फ पंखुड़ियाँ मिली थी "हाँ"
उसने कहा "कुछ समझे थे?"
"नही।"
"क्यूँ?"
"सोचा था कॉलेज के किसी दोस्त की मज़ाक है।"
"और वो रोटियाँ?"
"कौनसी?"
"दिल के आकार वाली।"
"अब समझ में आ रहा है।"
"बुद्दू हो"
"हाँ"
फिर वह हँसी। काफी देर तक। निश्छल मासूम हंसी।
"कल सोए थे क्या?"
"नही।"
"अब सो जाओ। मैं ठीक हूँ मुझे कुछ न होगा।"
सचमुच नींद आ रही थीं।
मग़र मैं सोया नही।
मग़र वह सो गई।
फिर घंटेभर बाद वापस जाग गई।
मैं ऊंघ रहा था।
"सुनो।"
"हाँ।मैं नींद में ही बोला।
"ये बताओ ये बीमारी छूने से किसी को लग सकती है क्या?"
"नही, सिर्फ एडीज मच्छर के काटने से लगती है।"
"इधर आओ।"
मैं उसके करीब आ गया।
"एक बार गले लग जाओ। अगर मर गई तो ये आरज़ू बाकी न रह जाए।"
"ऐसा ना कहो प्लीज।" मैं इतना ही कह पाया।
फिर वो मुझसे काफी देर तक लिपटी रही और सो गई।
फिर उसे ढंग से लिटाकर मैं भी एक खाली बेड पर सो गया।
मग़र सुबह मैं तो उठ गया। और वो नही उठी। सदा के लिए सो गई। मैंने उसे जगाने की बहुत कोशिश की थी।पर आँखे न खोली उसने।वो इस सँसार को मुझे छोडकर इस दुनिया से जा चुकी थी। मुझे रोता बिलखता छोड़कर।
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Saturday, 21 April 2018

Sashural vs Mayaka

हर घर की कहानी....
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बेटा चल छत पर चलें कल तो तेरी शादी है, आज हम माँ बेटी पूरी रात बातें करेंगे। चल तेरे सिर की मालिश कर दूँ, तुझे अपनी गोद में सुलाऊँ कहते कहते आशा जी की आँखें बरस पड़ती हैं। विशाखा उनके आंसू पोंछते हुए कहती है ऐसे मत रो माँ, मैं कौन सा विदेश जा रही हूँ। 2 घण्टे लगते हैं आगरा से मथुरा आने में जब चाहूंगी तब आ जाऊँगी।

विदा हो जाती है विशाखा माँ की ढेर सारी सीख लिए, मन में छोटे भाई बहनों का प्यार लिये, पापा का आशीर्वाद लिये। दादा-दादी, चाचा-चाची, मामा-मामी, बुआ-फूफा, मौसी-मौसा सबकी ढेर सारी यादों के साथ। जल्दी आना बिटिया, आती रहना बिटिया कहते हाथ हिलाते सबके चेहरे धुंधले हो गए थे विशाखा के आंसुओं से। संग बैठे आकाश उसे चुप कराते हुए कहते हैं सोच लो पढ़ाई करने बाहर जा रही हो। जब मन करे चली आना।

शादी के 1 साल बाद ही विशाखा के दादाजी की मृत्यु हो गयी, उस समय वो आकाश के मामा की बेटी की शादी में गयी थी, आकाश विशाखा से कहता है ऐसे शादी छोड़ कर कैसे जाएंगे विशु, दादाजी को एक न एक दिन तो जाना ही था। फिर चली जाना, चुप थी विशाखा क्योंकि माँ ने सिखा कर भेजा था अब वही तेरा घर है, जो वो लोग कहें वही करना। 6 महीने पहले आनंद भईया (मामा के बेटे) की शादी में भी नहीं जा पायी थी क्योंकि सासु माँ बीमार थीं।

अब विशाखा 1 बेटी की माँ बन चुकी थी, जब उसका पांचवा महीना चल रहा था तभी चाची की बिटिया की शादी पड़ी थी, सासू माँ ने कहा दिया ऐसी हालत में कहाँ जाओगी। वो सोचती है,कैसी हालत सुबह से लेकर शाम तक सब काम करती हूँ, ठीक तो हूँ इस बार उसका बहुत मन था, इसलिए उसने आकाश से कहा मम्मी जी से बात करे और उसे शादी में लेकर चले, चाची का फोन भी आया था आकाश के पास, तो उन्होंने कहा दिया आप लोग जिद करेंगे तो मैं ले आऊँगा लेकिन कुछ गड़बड़ हुई तो जिम्मेदारी आपकी होगी। फिर तो माँ ने ही मना कर दिया, रहने दे बेटा कुछ भी हुआ तो तेरे ससुराल वाले बहुत नाराज हो जाएंगे।

वैसे तो ससुराल में विशाखा को कोई कष्ट नहीं था, किसी चीज की कमी भी नहीं थी, फिर भी उसे लगता था जैसे उसे जिम्मेदारियों का मुकुट पहना दिया गया हो। उसके आने से पहले भी तो लोग बीमार पड़ते होंगे, तो कैसे सम्भलता था ! उसके आने से पहले भी तो उनके घर में शादी ब्याह पड़ते होंगे, तो आज अगर वो किसी समारोह में न जाकर अपने मायके के समारोह में चली जाए तो क्या गलत हो जाएगा।

दिन बीत रहे थे कभी 4 दिन कभी 8 दिन के लिए वो अपने मायके जाती थी और बुझे मन से लौट आती थी।विशाखा के ननद की शादी ठीक हो गयी है, उन दोनों का रिश्ता बहनो या दोस्तों जैसा है। अपनी ननद सुरभि की वजह से ही उसे ससुराल में कभी अकेलापन नहीं लगा। सुरभि की शादी होने से विशाखा जितनी खुश थी उतनी ही उदास भी थी, उसके बिना ससुराल की कल्पना भी उसके आंखों में आंसू भर देती थी।

विशाखा ने शादी की सारी जिम्मेदारी बहुत अच्छे से संभाल ली थी, उसको दूसरा बच्चा होने वाला है, चौथे महीने की प्रेगनेंसी है फिर भी वो घर-बाहर का हर काम कर ले रही है। सभी रिश्तेदार विशाखा की सास से कह रहे हैं बड़ी किस्मत वाली हो जो विशाखा जैसी बहु पायी हो।

शादी का दिन भी आ गया, आज विशाखा के आँसू रुक ही नहीं रहे थे, दोनों ननद भाभी एक दूसरे को पकड़े रो रही थीं, तभी विशाखा की सास उसे समझाते हुए कहती हैं, ऐसे मत रो बेटा, कोई विदेश थोड़े ही जा रही हो जब चाहे तब आ जाना। तब सुरभि कहती है, नहीं माँ जब दिल चाहे तब नहीं आ पाऊँगी। वो पूछती हैं ऐसे क्यों कहा रही हो बेटा, माँ के पास क्यों नहीं आओगी तुम ?

तब सुरभि कहती है, "कैसे आऊँगी माँ हो सकता जब मेरा आने का मन करे तब मेरे ससुराल में कोई बीमार पड़ जाए, कभी किसी की शादी पड़ जाए या कभी मेरा पति ही कह दे तुम अपने रिस्क पे जाओ कुछ हुआ तो फिर मुझसे मत कहना। सब एकदम अवाक रह जाते हैं, वो लोग विशाखा की तरफ देखने लगते हैं, तभी सुरभि कहने लगती है, नहीं माँ भाभी ने कभी मुझसे कुछ नहीं कहा लेकिन मैंने देखा था उनकी सूजी हुई आंखों को जब उनके दादा जी की मौत पर आप लोग शादी का जश्न मना रहे थे।

मैंने महसूस की है वो बेचैनी जब आपको बुखार होने के चलते वो अपने भईया की शादी में नहीं जा पा रही थीं। मैंने महसूस किया है उस घुटन को जब भैया ने उन्हें उनकी चाची की बेटी की शादी में जाने से मना कर दिया था, उन भईया ने जिन्होंने उनकी विदाई के वक़्त कहा था सोच लो तुम बाहर पढ़ने जा रही हो जब मन करे तब आ जाना। आपको नहीं पता भईया आपने भाभी का विश्वास तोड़ा है।

कल को मेरे ससुराल वाले भी मुझे छोटे भईया की शादी में न आने दें तो, सोचा है कभी आपने। पापा हमारी गुड़िया तो आपकी जान है, कभी सोचा है आप सबने कल को पापा को कुछ हो जाये और गुड़िया के ससुराल वाले उसे न आने दें। कभी भाभी की जगह खुद को रख कर देखिएगा, एक लड़की अपने जीवन के 24-25 साल जिस घर में गुजारती है, जिन रिश्तों के प्यार की खुशबू से उसका जीवन भरा होता है उसको उसी घर जाने, उन रिश्तों को महसूस करने से रोक दिया जाता है।

मुझे माफ़ कर दीजिए भाभी मैं आपके लिए कुछ नहीं कर पाई, जिन रिश्तों में बांधकर हम आपको अपने घर लाये थे वही रिश्ते वही बन्धन आपकी बेड़ियाँ बन गए और ये कहते-कहते सुरभि विशाखा के गले लग जाती है। आज सबकी आंखें नम थी, सबके सिर अपनी गलतियों के बोझ से झुके हुए थे।

दोस्तों ये किसी एक घर की कहानी नहीं बल्कि हर घर की यही कहानी है, हमारे देश के समाज में शादी होते ही लड़कियों की प्राथमिकताएं बदल दी जाती हैं। अपना परिवार अपना घर ही पराया हो जाता है और उसे वहाँ जाने के लिए उसे दूसरों की आज्ञा लेनी पड़ती है। अगर हो सके तो इस लेख को पढ़कर आप सब भी इस पर गौर जरूर फरमाइयेगा। और हो सके तो बहु को उसके माता-पिता के घर आने-जाने की आज़ादी जरूर दिजियेगा।

धन्यवाद
Er DK MEHTA MOTIVATIONAL SPEAKER

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