Sunday, 20 November 2016

Thought

चलो कुछ ख्वाब फिर सजा लें,
चलो एक नयी दुनिया फिर बसा लें,
किसी ग़म को जगह नही देंगे कभी,
चलो आज मिल कर यह कसम खा लें,

जो धोखे दुनिया दिखा गए पूरी,
जो लोग ज़रुरत पर बना गए दूरी,
वो शख्स जिसने वक़्त पर बतायी मजबूरी,
इनको ज़हन से याद से नसीब से हटा लें,
चलो कुछ ख्वाब फिर सजा लें....

वो लम्हा जब तनहा था अकेला था,
वो शब् जब तुम पर भी पहरा था,
वो दिन जब वीरान अपनों का चेहरा था,
आओ की मुस्कुरा कर भुला लें,
चलो कुछ ख्वाब फिर सजा लें....

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